पिछले 18 महीने से जेल में बंद 148 मारुति मजदूरों को रिहा करो!
15 से 31 जनवरी: जन जागरण यात्रा
मारुति मज़दूर और उनके परिवारों की
कैथल से दिल्ली पदयात्रा को सफल बनाएं
कैथल मिनीसचिवालय से शुरू होकर जींद, रोहतक, झज्जर, गुडगाँव होके दिल्ली पहुंचेगी जहाँ, 31 जनवरी दोपहर 2 बजे दिल्ली जंतर मंतर पर राष्ट्रपति को ज्ञापन
साथियो!
न्याय और हक़ के संघर्ष में हमें लम्बा समय बीत गया है। गुडगाँव स्थित मारुति मानेसर के हम लगभग ढ़ाई हजार मज़दूर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। फर्जी आरोपों में आज भी हमारे 148 साथी जेल की सलाखों में बन्द हैं। मालिक-सरकार-पुलिस-प्रशासन का मिलाजुला हमला बरकरार है। लगातार दमन झेलकर भी हमारा संघर्ष जारी है।
वे सबकुछ करने को तैयार, सभी अफसर उनके
18 जुलाई, 2012 को गुडगाँव के मानेसर स्थित मारुति कंपनी की घटना के बारे में सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों में भी मजदूरों के खिलाफ जबरदस्त प्रचार हुआ| हरियाणा सरकार, केंद्र सरकार, बड़े बड़े राजनैतिक दलों और बड़े मिडिया हॉउस ने मारुति मजदूरों के जायज संघर्ष को जानबूझ कर ऐसे प्रचारित किया ताकि लोगो को लगे कि मारुति के 3000 मजदूर असल में ‘क्रिमिनल’ थे| हरियाणा की आम जनता को समझाया गया की मारुति के मज़दूर कंपनी में गुंडा-गर्दी कर रहे थे| लेकिन सच्चाई धीरे धीरे सामने आ रही है| सच यह है की मारुति जैसी बड़ी कंपनियों को देश के संविधान का उलंघन करने के लिए हरियाणा सरकार ने खुली छुट दे रखी हैं| इन सभी कंपनियों में अवैध ठेका प्रथा चलती हैं, ट्रेनिंग के नाम पर तीन-तीन साल तक मामुली दिहाड़ी पर खटाया जाता है, मजदूरों के साथ जानवरों की तरह व्यवहार किया जाता हैं| हमारा संघर्ष इसी शोषण के खिलाफ शुरू हुआ|
हम मारुति के मजदूर, मारुति प्रबंधन के अवैध कामों को संवैधानिक तरीके से रोकने के लिए यूनियन बनाने के लिए एकजुट हुए| तब से सिर्फ मारुति प्रबंधन ही नही, हरियाणा सरकार भी हमारे
पीछे पड़ गयी| 4 जून, 2011 से यह युद्ध जारी है| एक तरफ है दुनिया के बड़े पूंजीपतियों में से एक मारुति सुजुकी ग्रुप और हरियाणा सरकार – दूसरी तरफ हैं हम सामान्य मारुति मजदूर|
हमारा संघर्ष जायज है, इसलिए हमने संघर्ष की राह नहीं छोड़ी, इसको मजबूत बनाने के लिए तन-मन-धन लगा दिया| इसी मुद्दे पर आज हम हरियाणा और दिल्ली के मजदूर-किसान-छात्र-नौजवान के पास पहुँच रहे हैं| हम जानते हैं की जनता की ताकत के सामने मारुति और उनके यारों की ताकत कुछ भी नहीं| हमने जनता की सलाह पर, उनकी मदद पर, उनके बल पर अपने संघर्ष को जारी रखा हैं, और हक़ मिलने तक जारी रखेंगे, देश के मेहनतकशों की एकता को आगे बढाएंगे| जनता के ऊपर जारी हर तरह के अन्याय, जुल्म और अपमान का मुकाबला करने के लिए हम अपनी एकता, जागरूकता, साहस, समझदारी को हर पल मजबूत बनाने का संकल्प ले रहे है|
हरियाणा सरकार और उनकी एसआईटी:
हरियाणा सरकार के कारनामें अपरम्पार हैं। बेगुनाह मज़दूरों को जबरिया गुनाहगार साबित करने के लिए वह अजब-गजब करिश्में कर रही है। 18 जुलाई मारुति मानेसर में हुए कांड की जांच के लिए हरियाणा सरकार ने एक कमेटी बनाई थी| इस कमेटी का नाम था ‘स्पेसल इन्वेस्टिगेटिंग टीम’(SIT)| हमारे जो 148 साथी आज 18 महीने से जेल में बंद है उन सभी की गिरफ्तारी SIT के नेतृत्व में हुई| हरियाणा पुलिस की महिमा ऐसी की 18 जुलाई रात 7 बजे से मारुति कंपनी की ड्रेस पहने जो भी मज़दूर दिखा, उसे गिरफ्तार कर लिया था| गवाही का खेल तो और निराला है| जेल में बंद 148 मजदूर साथियों में से 90 मजदूर ऐसे है जिनके गवाहों ने इन मजदूरों के नाम के पहले अंग्रेजी अक्षर के अनुसार गवाही की, और 20/25 नाम की जिम्मेदारी गवाहों ने आपस में बांट ली है (जैसे की, जिस जिस मजदूर के नाम का पहला अंग्रेज़ी अक्षर A से M तक है, उसकी जिम्मेदारी एक गवाह ने, तो M से S तक के लिए दुसरे गावाह ने...)यह झूठी गवाहियाँ, हरियाणा पुलिस द्वारा जेल में बंद हमारे 148 साथियों के खिलाफ न्यायालय में पेश की, चालान का हिस्सा है| हमारे वकील द्वारा अदालत में इस सच्चाई को पेश करने के बावजूद इसकी अनदेखी इसका प्रमाण है कि न्यायालय भी मारुति जैसी कंपनी की ताकत से डरती हैं|
अपनी एकता के दम पर हर ताकत से टकराएंगे!
हम हरियाणा के सी-एम से शुरू करके देश के पी-एम तक के पास गए – परिणाम सामने हैं| फिर भी हम थके नही हैं| हमारा संकल्प मजबूत हुआ है और समझदारी आगे बढ़ी है| पूजीपतियों और सरकार के दमन ने हमें सिखाया की आज देश में मजदूरों की जबरदस्त एकता की जरुरत है| इस सबक से पिछले एक साल के दौरान गुडगाँव – मानेसर - धारूहेड़ा – बावल - नीमराना औद्योगिक इलाके के तमाम मजदूरों के साथ हमें अपनी एकता को और भी मजबूत बनाया| विभिन्न प्रदेशों में संघर्षरत मजदूर संगठनों से बने गहरे रिश्ते रिश्ते इस कठिन संघर्ष को जारी रखने में हमें उर्जा दे रहे हैं|
हम ‘यात्रा’ में क्यों?
हम अपने परिवार सहित ‘जन जागरण यात्रा’ में इसीलिए जुटें हैं क्योंकि सरकार को हम यह संकेत देना चाहते हैं की आम जनता जागृत हो रही हैं| एकमात्र आम जनता का जागरण ही हरियाणा सरकार – केन्द्र सरकार की तानाशाही को चुनौती दे सकता है| यही जागृति पूजीपतियों के पक्ष में काम करनेवाली सारी ताकतों को जनता के सामने बेनकाब करेगी|
साथियों, हम जानते हैं - आम जनता ही हमें न्याय दिला सकती हैं| हरियाणा सरकार ने अगर इस यात्रा चलने के दौरान हमारे साथियों की रिहाई के साथ हमें न्याय नहीं दिया तो हमें अपने संघर्ष को और भी मजबूती से आगे बढ़ाना पड़ेगा| जेल में बंद अपने 148 साथियों की मुक्ति के लिए निकट भविष्य में हम और भी तीखे संघर्ष की राह पर जाने की तैयारी में हैं| हमारे लिए जेल के बाहर भी जेल जैसा ही है| न्याय पाने के लिए पिछले सालों में हमने कुछ क़ुरबानियां दी हैं, आनेवाले दिनों में और भी ज्यादा देंगे|
आओ साथियों साथ चलें
मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन प्रोविजनल वर्किंग कमेटी द्वारा, 1.1.2014 को प्रकाशित
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