[Note: This short piece was published in CRITIQUE, Vol-1, Issue-3. Critique is a Quarterly brought out by the Delhi University Chapter of New Socialist Initiative (NSI)]
साल्वाटोर काप्रिआनो
साल्वाटोर काप्रिआनो
जब आप राजधानी में पहला कदम रखते हैं तो वहां के गलियारों और सभागारों में प्रस्फुटित होती प्रेरणा और एकजुटता की भावना से ओतप्रोत होने से बच नहीं सकते। जनता के सैलाब से रूबरू होना एक ऐसी उम्मीद जगाता है जिससे कई लोग परिचित नहीं हैं और तमाम लोग भूल गए हैं। पहली मंजिल पर स्थित गोलभवन में छात्रों की भारी तादाद है जो इस कब्जे को अमली जामा पहनाने में लगे हैं। उनके हाथों में एक लाउडस्पीकर भी है जिसका इस्तेमाल सभी पारी पारी से कर सकते हैं।
इस संघर्ष से एकाकार होकर छात्रों ने अहम भूमिका अदा की है, स्लीप ओवर सूची तैयार करने से लेकर, फूड डोनेशन्स संगठित करने, मेडिकल स्टाफ और राजधानी में ही सूचना केन्द्र को गठित करके इस कब्जे का आधार बनाने का उन्होंने काम किया है। जगह जगह पोस्टर्स भी लगाए गए हैं जैसे कि माॅल में लगे होते हैं या बिल्डिंगों में चिपके होते हैं, जो लोगों को वांछित गन्तव्य तक पहुंचने में मददगार होते हैं।
दूसरी मंजिल पर बूथ हैं जो सूचना देते हैं या मुफ्त साहित्य वितरित करते हैं और जहां पर खाने पीने की चीजों का स्टाॅक भी पड़ा है। उसी मंजिल पर चार्जिंग स्टेशन भी है जहां पर वे तमाम लोग एकत्रित हैं जो इस संघर्ष की ख़बरों को अपने ब्लाॅगों के माध्यम से दुनिया के हर कोने तक पहुंचा रहे हैं, वहां पर वे लोग भी हैं जो अपने इलैक्ट्रानिक उपकरणों को चार्ज करवाना चाहते हैं।
रात में, दूसरी मंजिल पर तमाम छात्रा और मजदूर लेटे मिलते हैं जिन्होंने यह तय किया है कि ‘‘किसी भी सूरत में किले को बचाना है’’ और इस बात को सुनिश्चित करना है कि इस बिल्डिंग से उनकी पकड़ ढीली ना हो।
लोग वहीं सोते हैं, नए नए दोस्तों से परिचय करते हैं, और बिल्डिंग के अन्दर एक नए किस्म का समुदायबोध विकसित होता रहता है। एक या दो दिन वहां बीताने के बाद, आप अन्य लोगों से मित्राता की भावना, सम्मान की भावना को अपने अन्दर पल्लवित होते देख सकते हैं। इस बिल्डिंग पर किए गए कब्जे ने मुझे कामरेडशिप की भावना को समझने का मौका दिया है जो कामगारों और युवकों के बीच सम्भव हो सकती है।
तीसरी मंजिल पर स्लीपिंग बैग्ज पड़ी हैं और लोगों को अलग अलग समूह हैं जो आपस में बातचीत में मुब्तिला हैं। नए नए लोगों से मिलने और विचारों का आदानप्रदान करने के लिए यह माकूल जगह है। वह समूचे गोलभवन का भी यह जादूई मंज़र पेश करती है -यहीं से आप प्रतिरोध के समग्र आकार को देख सकते हैं।
निरन्तर जारी इस घटनाक्रम की विविधता भी अविश्वसनीय लगती है। नई दक्षिणपंथी हुकूमत द्वारा यूनियनों की ताकत को खतम करने की नीतियों के खिलाफ संघर्षरत विस्काॅन्सिन के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए अलग अलग हिस्सों से यूनियनों, छात्रों, कार्यकर्ताओं और मजदूरपक्षी संगठनों के प्रतिनिधि तथा अन्य लोग पहुंच रहे हैं। कॅलिफोर्निया से न्यूयाॅर्क, टेक्सास से नार्थ डाकोटा तक रहनेवाले आम लोगों ने यहां पहुंच कर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है।
निस्सन्देह यह इस घटना का सबसे प्रेरणादायी पहलू है। न केवल यहां निजी और सार्वजनिक क्षेत्रा के यूनियनों से जुड़े या उससे बाहर रह गए मजदूर हैं बल्कि हर नस्ल, सम्प्रदाय और यौनिकता से जुड़े मजदूर और छात्रा भी हैं।
‘‘लोग अगर संगठित होते हैं तो उन्हें कोई हरा नहीं सकता।’ यह कहावत हमारी आंखों के सामने हक़ीकत बनती दिख रही है। मैडिसन में हम अपने भविष्य को और अमेरिका के श्रमिक आन्दोलन के भविष्य को देखते हैं और वह विस्मित करनेवाला है।
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नोट: लेखक हाईस्कूल सीनियर और डेट्राइट से जुड़ा छात्रा कार्यकर्ता है जिसने अमेरिका के विस्कांसिन सूबे के मैडिसन में जारी विरोध आन्दोलन में भेजे गए एकजुटता शिष्टमंडल (सालिडारिटी डेलिगेशन) में हिस्सा लिया था
कापीराइट 1995-2011, वर्कर्स वल्र्ड
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