Saturday, January 23, 2016

[वक्तव्य] कामरेड वेमुला रोहिथा चक्रवर्ती की विरासत अमर रहे !

- न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव द्वारा जारी वक्तव्य

न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव हैद्राबाद विश्वविद्यालय के छात्रानेता और पीचडी शोधछात्र कामरेड रोहिथ वेमुला, को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। आज रोहिथ महज एक शोधछात्र का नाम नहीं है। भारत की शिक्षा व्यवस्था के बढ़ते साम्प्रदायिकीकरण के खिलाफ वह एक आवाज़ बन गयी है। उच्च शिक्षा संस्थानों में उच्च जाति के वर्चस्व के विरोध में अनवरत जारी संघर्ष का रोहिथ आज दूसरा नाम है। हमारी सभ्यता के पतन के विरोध में बग़ावत का वह आज प्रतीक है। यह सही है कि रोहिथ ने खुदकुशी की, अपने आप को समाप्त किया, मगर निराशा में नहीं, निष्फल बदले की भावना के तहत नहीं। जैसे कि उसके आखरी शब्द बताते हैं कि वह हमारे मुल्क में जारी व्यवस्था पर राजनीतिक और दार्शनिक बयान जारी कर रहा था , विश्वविद्यालय परिसरों में आज भी जारी घृणित मनुवादी आचारों पर वह अपनी बात कह रहा था, अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के फासीवादी गिरोहों द्वारा निशाना बनाये जाने की मुखालिफत कर रहा था, हमारे समाज में बढ़ती असहिष्णुता और अतार्किकता को लेकर अपनी चिन्ता प्रगट कर रहा था। 

रोहिथ भले ही दलित परिवार में पैदा हुआ था, मगर उसे महज दलित पहचान तक न्यूनीकृत कर देना इस गहन चिन्तक और समझौताविहीन योद्धा के प्रति घोर अन्याय होगा, जिसने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहां सभी किस्म के शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति मिलेगी। हां, रोहिथ हमेशा अपने आप को दलित मार्क्सवादी कहलाता था। वह मार्क्सवाद के विश्वनज़रिये के प्रति प्रतिबद्ध था जिसे बाबासाहब अम्बेडकर के मुक्तिकामी विचारों से प्रेरणा मिल रही थी। आलोचनात्मक चिन्तन और लड़ाकू राजनीतिक कार्य का रोहिथ अदभुत संगम था। रोहिथ ने इस बात को बखूबी समझा था कि इन्कलाब, सामाजिक मुक्ति और वैज्ञानिक चिन्तन एक साथ चलते हैं। अपनी प्रभावी दलीलें और समझौताविहीन संघर्ष से, चर्चाओं और आन्दोलनों की स्रजनात्मक तरीके से अगुआई करने की अपनी क्षमता के जरिए उसने उदितमान नेता के गुणों को अपने सीमित जीवनकाल में ही उजागर किया था। रोहिथ कोई बुजदिल व्यक्ति नहीं था। वह रोजमर्रा के स्तर पर ताकतवरों को चुनौती देता था, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गुण्डा गिरोहों का साहस के साथ मुकाबला करता था। ब्राहमणवादी उच्च जातीय मूर्खता के प्रति अपनी वितृष्णा को उसने कभी छिपाया नहीं, उसी तरह उत्पीड़ितों, दलितों, मुसलमानों, महिलाओं, आदिवासियों या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत करने में वह कभी चुका नहीं।

विभिन्न मुददों पर - जिनमें अफजल गुरू और याकूब मेमन को सुनाई गयी सज़ा ए मौत जैसे मुददे भी शामिल थे - कामरेड रोहिथ और अम्बेडकर स्टुडेंटस एसोसिएशन /एएसए/ के उसके साथियों के ब्राहमणवाद विरोधी, फासीवाद विरोधी रूख के चलते हैद्राबाद विश्वविद्यालय के दक्षिणपंथी प्रशासन और फासीवादी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने, उन्हें सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया। केन्द्र में भाजपा के सत्तारोहण के बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने, इस समूचे संगठन को पूरी तरह से तबाह करने के दूरगामी मकसद के तहत, जो एक तरह से हैद्राबाद विश्वविद्यालय के केसरियाकरण के खिलाफ मुखर आवाज़ थी, उस पर हमले शुरू किए। इस पृष्ठभूमि को समझे बिना ययह समझना मुश्किल होगा कि आखिर होस्टलों से दलित पीएचडी शोधछात्रों को क्यों निष्कासित किया गया और क्यों वह प्रतिरोध के तौर पर खुले आसमान के नीचे सो रहे थे और आखिर क्यों रोहिथ ने विरोध के इस आत्यंतिक और अस्वीकारणीय रास्ते को अपनाया।

व्यक्तिगत स्तर पर कामरेड रोहिथ एक सम्भावनासम्पन्न विद्वान था जिसकी ब्रहमांडविज्ञान/कास्मोलोजी में रूचि थी और वह कार्ल सागान की तरह विज्ञान लेखक बनना चाहता था। वह उन सामाजिक परिस्थितियों और सांस्कृतिक विशेषताओं को लेकर चिंतित था जिसके चलते मनुष्य की मनुष्यता खो जाती है और प्रकृति के साथ उसका सम्पर्क टूटता है। हमारे समाज में तेजी से बढ़ रही विषाक्त तर्कहीनता को लेकर वह बेहद चिंतित था। वह इन मुददों पर काम करना चाह रहा था। रोहिथ एक ऐसा अदभुत नौजवान था कि वह विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ तीखे राजनीतिक संघर्ष के दरमियान और व्यक्तिगत जीवन की चिन्ताओं को लेकर मची हलचलों के दौरान भी अपनी शांति बनाए रख सकता था और मानवीय परिस्थिति के बारे में सोचता था।

हमें लगता है कि रोहिथ को याद करने का सबसे बेहतर तरीका है कि:

- शिक्षा के केसरियाकरण के खिलाफ
- अमानवीय जाति व्यवस्था और उत्पीड़न एवं भेदभाव के उसके विभिन्न घ्रणित रूपों के खिलाफ
- धार्मिक पुनरूत्थानवाद और रूढिवाद के खिलाफ
- अंधश्रद्धा और धर्मांधता के खिलाफ
- पूंजीवाद की विभीषिका के खिलाफ
संघर्ष तेज किया जाए।

‘न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव’ की यह कोशिश होगी कि वह कामरेड रोहिथ के अधूरे सपनों को आगे बढ़ाए। उत्पीड़ित जनों में विज्ञान और तर्कशीलता के प्रचार प्रसार के रोहिथ के सपने को साकार करने को लेकर हम संकल्पबद्ध हैं।

उसकी दुखद मौत और उसके तमाम साथियों, दोस्तांे और आत्मीयों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए हम कामरेड रोहिथ के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। कामरेड रोहिथ जिन्दाबाद।

न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव की मांग है:

1. रोहिथ की मौत के लिए जिम्मेदार सभी दोषियों को सज़ा दी जाए।
2. शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्वायत्तता और बौद्धिक आज़ादी के वातावरण की रक्षा की जाए।
3. जॉईट एक्शन कमेटी की सभी मांगों को पूरा किया जाए।

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